रह जाता कोई अर्थ नहीं - रामधारी सिंह दिनकर

रह जाता कोई अर्थ नहीं - रामधारी सिंह दिनकर

नित जीवन के संघर्षों से जब टूट चुका हो अन्तर्मन, तब सुख के मिले समन्दर का *रह जाता कोई अर्थ नहीं*।।   जब फसल सूख क…

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